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इलेट्रॉनिक मीडिया का सनसनीखेज

आनंद स्वरूप वर्मा ने 5 सितम्बर को आईबीएन-7 चैनल द्वारा प्रसारित कार्यक्रम की स्क्रिप्ट को लिपिबद्ध किया. प्रस्तुत है वह स्क्रिप्ट

देश के दुश्मन सरहद पर लामबंद होने लगे हैं.
हम बात कर रहे हैं कि नेपाल के माओवादियों की जो भारत को अपना दुश्मन नंबर वन मानते हैं. नेपाल के घने जंगलों में जंग की पूरी तेयारी चल रही है. लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है, लड़कियाँ हों या खेतों में काम करने वाले किसानµ इनके हाथों में बंदूकें हैं.

ये खतरनाक नजारा देखने को मिला माओवादियों के पोलिटिकल विंग्स और ट्रेनिंग कैंप्स में.

आतंक के ठिकानों से देखिये एक खास रिपोर्ट.

(इसके बाद प्रधानमंत्राी मनमोहन सिंह की एक बाइट जिसमें उनकी चेतावनी कि आतंकवादी कुछ प्रमुख सैनिक ठिकानों पर हमला कर सकते हैं.)

एंकरः ये चेतावनी प्रधानमंत्राी मनमोहन सिंह ने देश की खुफिया एजेंसियों के हवाले से दी और कहा कि आतंकवादी, देश की एकता और अखंडता को चोट देने की फिराक में लगे हैं. प्रधानमंत्राी ने राज्य सरकारों समेत आम लोगों को सावधान रहने को कहा लेकिन इनकी सरकार को उस खतरे की जरा सी भी परवाह नहीं जिसकी दबिश सीमा पर महसूस की जा रही है. बारूद भरा जा चुका है बस चिंगारी भड़कने की देर है.

रिपोर्टरः देश की सुरक्षा के लिए सिरदर्द बन चुके नेपाली माओवादियों की तलाश में आईबीएन-7 की टीम ने सरहद के पार धावा बोला. और हम निकल पड़े माओवादियों के टेªनिंग कैंप के लिए. मुझे और मेरे कैमरामैन को तीन तरफ से खतरा थाµ नेपाल पुलिस, नेपाली सेना और खुद माओवादी हैं.

सफर शुरू हुआ काठमांडो से. टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी जंगलों के बीच से होते हुए हमें लाया गया माओवादियों के पोलिटिकल विंग कैंप में. यही वह कैंप है जो माओवादियों का थिंक टैंक ही नहीं बल्कि रिमोट कंट्रोल भी है. यहाँ से हरी झंडी मिलने के बाद हम निकल पड़े और भी ज्यादा कठिन सफर पर. क्रू काफिला नदी से गाड़ी हमें पानी में होकर निकालनी पड़ी. और फिर शुरू हुआ पहाड़ी जंगलों में पैदल सफर. करीब 11 किलोमीटर चलने के बाद हमें मिला माओवादी सैनिक कैंप. जहाँ दो रातों तक हमारा सारा सामान कब्जे में लेने के बाद कैमरामैन संजय ओजस और मुझे अलग-अलग रखा गया. फिर मिली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के प्रशिक्षण कैंप को शूट करने की इजाजत.

यहाँ शायद ही कोई हथियार हो जो मौजूद न हो. सैनिक इन भारी भरकम हथियारों को लेकर अनुशासन के साथ दौड़े जा रहे थे. माहौल ऐसा था मानो किसी युद्ध विराम के दौरान भी युद्ध तैयारी चल रही हो.

एेकर: नेपाल के सुरखेत जिले के पहाड़ों के बीच बसे इस जंगल में चल रहा है माओवादी सैनिकों का यह कैंप जहाँ आज भी हथियारों के साथ तैयारी बदस्तूर जारी है.
रिपोर्टर: पहाड़ी जंगलों के बीच बसे इस कैंप तक सेना का पहुँचना खासा मुश्किल होता है. मैदानी इलाके के बाद ही गाँव-दर-गाँव माओवादियों की सिनेटी शुरू हो जाती है. सिनेटी कहा जाता है खबरी को. सेना का एक भी ट्रक या पैदल सैनिक लश्कर इस ओर बढ़ा कि कैंप को खबर कर दी जाती है. घर में नेपाल नरेश और बाहर भारत ही है इनका दुश्मन.

(पी एल ए के प्लाटून कमांडर विकास ेसे नेपाली में बातचीत की एक बाइट).

रिपोर्टर: इस कैंप में मुझे मशीनगन उठाये तमाम लड़कियाँ दिखीं. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कैंप में जरूरी नहीं है कि लड़कियाँ सिर्फ सैनिकों के लिए खाना पकाएंगी और उनकी वर्दियाँ धोएंगी. बल्कि इन्हें मोर्चे के वक्त सीधे लड़ने की ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग कैंप में शामिल लड़कियों का अपने घरों से कोई वास्ता नहीं होता. हथियारों के साथ फेरे ले चुकी लड़कियों के लिए शादी कोई मायने नहीं रखती.

(पीएलए की वीमेन कोर कैप्टेन कविता से बातचीत)

रिपोर्टर: भारत के लिए खतरा बन चुका माओवाद नेपाल में किस कदर हावी है इसका अंदाज वहाँ युवाओं को ही नहीं बल्कि एसएलआर और मशीनगन उठाये लड़कियों से लेकर संगीन के साथ हल जोतते किसानों को देखने से साफ मिलता है. प्रचंड पथ के पोस्टर हों या एक से एक खतरनाक असलहे, ये इन्हीं के बीच पलते बढ़ते हैं. और शायद इनको मालूम है कि ये हथियार ही इनकी जिन्दगी हैं और विरासत. मनोज राजन त्रिपाठी, मर्यादपुर, नेपाल.

ऐंकर: तो नेपाल में माओवादियों की आपने तैयारियाँ देखीं, उनकी बोली सुनी, उनकी चाल देखी. वैसे सवाल यह भी उठता है कि आखिर नेपाल के माओवादियों की भारत से क्या दुश्मनी है. दरअसल सारे फसाद की जड़ माओवादियों की ग्र्रेटर नेपाल की माँग है जिसकी जद में भारत का अच्छा खासा हिस्सा है. माओवादी अपने नक्शे में भारत के दर्जनों शहरों पर अपना दावा पेश करते हैं.

रिपोर्टर: पिछले 10 साल से नेपाल में बारूद उगल रहे माओवादियों ने अपनी बंदूकों का मुँह भारत की तरफ मोड़ दिया है. और इसे नाम दिया है जमीनी लड़ाई का. नेपाल के मैदानी इलाकों से पहाड़ी जंगलों तक सक्रिय माओवादियों का आरोप है कि भारत ने करीब आधा नेपाल कब्जे में कर रखा है.

(कामरेड सरल, ब्यूरो मेम्बर से बातचीत नेपाल का जितना भी अच्छा जमीन है, भूभाग है उसको हड़पकर उसका जो पिलर है सीमाना का उस पिलर को इधर नेपाल की तरफ खींचकर इस तरह भारत हमारा भूमि जो कब्जा कर रहा है उसको तो हम लेंगे. अपना चीज लेंगे.)

रिपोर्टर: माओवादियों ने बृहद नेपाल या ग्रेटर नेपाल का ये नक्शा (एक नक्शा दिखाया जाता है) दो हिस्सों में जारी किया है. पहले नक्शे में चाकलेटी रंग की सीमाओं में वे हिस्से दिखाये गये हैं जिनमें भारत के तमाम इलाके शामिल हैं. लेकिन इस नक्शे में ये सारे इलाके साफ तौर पर नहीं दिखायी पड़ते. इसी के चलते एक और नक्शा जारी किया गया जिसमें बृहद नेपाल को साफ करके दिखाया गया है. नक्शे में नारंगी रंग के हिस्से को मौजूदा नेपाल और नीले हिस्से को वो जमीन बताया गया है जिसे माओवादी भारत से हासिल करना चाहते हैं. उनकी धमकी है कि अगर भारत ने जमीन वापस नहीं की तो फिर सीधे युद्ध होगा.

(पी एल ए के कमिसार) (जिसे कमिश्नर लिखा गया है) सुदीप: भारतीय जनता नहीं लड़ेगा. लडे़गा तो भारतीय शासक वर्ग. लड़ाई में उतर जाएगा तो हम भी फिर माला पानी के इतिहास की पुनरावृत्ति करेंगे.)

नक्शे का समूचा नीला हिस्सा भारत का है जिसे माओवादी ग्रेटर नेपाल का हिस्सा बता रहे हैं. उतरांचल से बंगाल तक के करीब 1650 वर्ग किलोमीटर की सीमा पर बसे गंगोत्राी, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगटोक, देहरादून, हरिद्वार, पीलीभीत, नैनीताल, उत्तर प्रदेश के गोंडा, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और मोतिहारी जैसे तीन दर्जन से ज्यादा इलाकों पर माओवादियों का दावा है.

ग्रेटर नेपाल के नक्शे को दिखाने के बाद तो अब यह तय है कि माओवादी अब एक नये मिशन पर लग गये हैं. और उनका पहला निशाना वही इलाके हैं जिन्हें वे अपना बता रहे हैं.

रिपोर्टरः माओवादियों के एजेंडे में भारत एक विस्तारवादी देश है और ये विस्तारवाद उसका दुश्मन नंबर एक है. माओवादियों का साफ ऐलान है कि भारत ने उसकी जो भी जमीन छीनी है उसको हासिल करने के लिए वे सशस्त्रा युद्ध तक को तैयार हैं. मनोज राजन त्रिपाठी, मर्यादपुर, नेपाल

ऐंकर: ये तो थे नेपाल के माओवादियों के मंसूबे. वैसे नक्सलवाद भारत की जो जड़ें हैं उनको भी कमजोर कर रहा है. 13 से भी ज्यादा राज्यों में आज उनकी पैठ है और 175 जिलों में वे अपने मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं लेकिन सरकार कोई खास कदम नक्सलवाद को लेकर नहीं उठ रही है. आज वैसे मुख्यमंत्रियों का एक सम्मेलन हुआ और उसको संबोधित करते हुए प्रधानमंत्राी ने इस बात का जरूर जिक्र किया कि नक्सलवाद एक बड़ा खतरा है इससे हम आगाह रहें.

और वक्त है एक ब्रेक का. ब्रेक के बाद देखेंगे झारखंड में मुंडा सरकार...

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